कुछ बंद सा कर दिया था,
समय के दायरे में हमने खुदको
अब समय भी हमें कहाँ छोड़ेगा
आझाद खुली हवाओं की हदको
एक बताऊं,...?
...
अभी तो खुली हवाओं का ही वक्त हैं दोस्तों,
समय भी अब कहाँ सुनेगा...
सुनेंगे हम गौर से उसे तब...,
समय हमारा फिर वापस मिलेगा।
- © हर्षिता
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