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Tuesday, 8 September 2020

शब्दों ने मुझे सच्चा मित्र बना दिया


 

शब्दों ने मेरे मुझे

बयाँ करना सिखा दिया

जिंदगी जीने का

नया अंदाज सिखा दिया...

 

गुमसुम सा रहेता था ये दिल,

खोने, न खोने के डर से

शब्दों से ही मिला बल,

खुद में विश्वास दिला दिया

 

सोच थी मेहेमान सी

आती थी, चली जाती थी

शब्दों के सहारें ने

सोच को लिखना सिखा दिया..

 

गम और ख़ुशी का मौसम

आता था, चला जाता था

हर बार शब्दों के सतर्क रूप ने

सोच को ही सकार* कर दिया.

 

शब्द न थे हाथों में

ना दिल में, ना होठों के काबू में

मगर शब्द और सजग मन की मित्रता ने

मुझे दुनियाँ का मित्र बना दिया

शब्दों ने मुझे मेरा मित्र बना दिया


शब्दों ने मुझे सच्चा मित्र बना दिया 

 

* सकारात्मक


                       - © हर्षिता


Sunday, 6 September 2020

दैवत्व स्वतःतल जिंकू शकतो....

झालेली चूक पुन्हा सुधारू शकतो
स्वभावाने सुद्धा माणूस बदलू शकतो
नात्यातल्या दुरावाही दूर होऊ शकतो
अंधारातून प्रकाशात परतू शकतो...
वाया गेलेल्या आयुष्याची परत ऊभारणी करू शकतो
काहीही अशक्य नसते जगण्यात, बदनाम नावही मिळवू शकतो
फुटक्या नशिबाला टिच्चून ठसक्यात...., 
दैवत्वही स्वतःतल जिंकू शकतो

दैवत्व स्वतःतल जिंकू शकतो....

                                    - © हर्षिता

Saturday, 5 September 2020

Respected Teachers

 



Life is getting beautiful

Moving from darkness to light

The knot of ignorance is getting untangled

And the truth is being revealed…..

Restless wandering mind found

The path filled with a golden light.

The wounds which time inflicted…

Are being soothed

The balm of loving-kindness

You dear respected teachers

Have been the spring of selfless-love

For us and for many more like us

In the years to come

Your Guidance, Love, Metta

May all keep receiving it

May all benefit!


- Translated by - Sheetal Patil 

- © Harshita

आदरणीय शिक्षकवर्ग - Marathi




हे आयुष्य सुंदर होतय
अंधारातून प्रकाशात येतय
अज्ञानाचा गुंता सुटतोय
सत्याचा उलगडा होतोय

भरकटणाऱ्या चंचल मनाला 
आदर्श सोनेरी मार्ग मिळतोय 
घडतांना होणाऱ्या घावांना
मायेचा मलमही लागला जातोय

हे सार काही फक्त तुमच्या मुळेच.... 
मला आणि माझ्यासारख्या अनेकांना 
तुमचे मार्गदर्शन, तुमची माया, 
प्रेम आणि मैत्री 
असेच सदैव लाभो

- © हर्षिता

आदरणीय शिक्षकवर्ग - Hindi



जिंदगी खुबसूरत बन रही हैं,
अंधेरे से प्रकाश की और जा रही हैं
अज्ञान की गुत्थी सुलझ रही हैं
सत्य का दर्शन हो रहा हैं 
भटके हुए चंचल मन को,
सुनहरी रोशनी से भरा मार्ग मिला
बनते वक्त हो रहे घावों को,
ममता से भरा मरहम मिला, 

ये सब हो रहा हैं आपकी वजह से,
हमें और हमारे जैसे असंख्यों को, 
आपका मार्गदर्शन, प्रेम, आपकी ममता, मैत्री 
आगे भी हमेशा मिलती रहे । 

 

- © हर्षिता

Friday, 4 September 2020

नव्हत्याचे होते तरी काय?

आला काळ गेला काळ

काळ सांगून येत नाय

होत्याचे नव्हते होते

नव्हत्याचे होते तरी काय?

- © हर्षिता

You don't find light easily

Today i spoke with the flame of the lamp

                               while burning it said...

"whether the darkness belongs to the world

                                                or to oneself,

                                it doesn't get dispelled

                          unless one kindles oneself

                    and you don't find light easily"


         - Translated by - Archana Deshpande 
                             - © Harshita

Wednesday, 2 September 2020

गुमशुदा




अखबरों में जब भी पढ़ती हूँ, वो सच

तोह आँख भर आती हैं,

और दिल को एक सच्चाई महसूस होती हैं,

क्या हैं वह?

कभी माँ, कभी बीवी..

कभी बहन.., कभी बेटी..

न जाने कहाँ गुमशुदा हो गए...

इनसान की सोच से...?

 

क्या यही सच है?

जी नहीं..

कभी वह भी नजर आ जाता हैं,

जो नज़रों से बयां होता हैं,

और नजारा नजर का भी दीखता हैं

क्या हैं वह?

 

तुम मेरी माँ हो, बहन हो, बेटी हो, बहु हो

मन का है इरादा, तुम से हैं ये वादा,

हटा के बुरी नजर का पर्दा

कभी होने न दूं दिल से गुमशुदा

कभी होने न दूं तुम्हे, दिल से गुमशुदा...

-          Jan 2015

 - © हर्षिता

 


वातावरण आणि मन




वातावरणातील घाणीमुळे मनेही घाण होतात

घाणेरड्या मनांमुळे वातावरणही घाण... 

चला करूया स्वच्छ दोनही

साऱ्यांनाच वाटेल सार काही छान 

 - © हर्षिता


Tuesday, 1 September 2020

इमोशंस और मन

 

कुछ इमोशंस हम हॅन्डल नहीं कर सकते,
कुछ इमोशनली हॅन्डल नही हो पाता,
सारा खेल इन इमोशंस का हैं,
जो बस मन में ही खेला जाता है।
और साला यह पागल मन,
हमेशा इमोशंस में बह जाता है ।

 - © हर्षिता