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Tuesday, 10 November 2020

जीत लूँ ऐसा सुकून


 ऐ सपनों के राही,

तू सपनों की राह पर चलते रहना,

दीवाना बनकर सच्ची मेहनत का

राह भी खुद चुनना..... 

और

रूह के हर कोने में,

लहूँ से अपने लिखना - 


"सपना मेरा अपना होगा, 

राह मेरी रूह,

शुद्ध सही वह मंजिल मेरी,

जीत लूँ ऐसा सुकून"

- © हर्षिता



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